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RAMESH SAMAD
Rock, Pop, Funk, Sertanejo, Hip Hop
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आदिवासी दार्शनिक गुरु कोल लको बोदरा ने हो भाषा की लिपि की खोज की एवं उसे समाज में स्थापित करने के लिए ‘वारंग क्षिति’ लिपि बनाई। उन्हें गुरु की उपाधि दी गई। हो भाषा-साहित्य में गुरु लको बोदरा का वही स्थान है जो संथाली भाषा में रघुनाथ मुर्मू का है। लको बोदरा ने चालीस के दशक में हो भाषा की लिपि ‘वारंग क्षिति’ की खोज की और उसके प्रचार-प्रसार के लिए ‘आदि संस्कृति एवं विज्ञान शोध संस्थान’ (एटेए तुर्तुड. पिटीका अखाड़ा) की स्थापना की। यह संस्थान आज भी हो भाषा-साहित्य के विकास में संलग्न है। वारंग क्षिति में उन्होंने ‘हो’ भाषा का एक वृहद शब्दकोश तैयार किया जो अप्रकाशित है। वारंग क्षिति एक आबूगीदा लिपि है जिसका प्रयोग झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, छत्तीसगढ़ और असम राज्यों में बोली जाने वाली हो भाषा को लिखने के लिए किया जाता है। लको बोदरा को शिक्षा हासिल करने की अद्भुत ललक थी। उनकी शुरुआती शिक्षा बचोम हातु प्राथमिक विद्यालय में हुई, फिर पुरुएया प्राथमिक विद्यालय में दाखिला लिया। चाईबासा में जिला स्कूल से दसवीं की। फिर मरंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की सहायता से जालंधर शहर से होम्योपैथी की पढ़ाई की। वे भारतेंदु हरिश्चंद्र की इन पंक्तियों से काफी प्रभावित हुए थे-
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